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!!!!!!हिसालु!!!!!!!!!






हिसालु जेठ-असाड़(मई-जून) के महीने में पहाड़ की रूखी-सूखी धरती पर छोटी झाड़ियों में उगने वाला एक जंगली रसदार फल है. इसे कुछ स्थानों पर "हिंसर" या "हिंसरु" के नाम से भी जाना जाता है. अगर आपका बचपन पहाड़ी गांव में बीता है तो आपने हिसालू का खट्टा-मीठा स्वाद जरूर चखा होगा. शाम होते ही गांव के बच्चे हिसालू के फल इकट्ठा करने जंगलों की तरफ निकल पड़ते हैं और घर के सयाने उनके लौट आने पर इनके मीठे स्वाद का मिलकर लुत्फ़ ऊठाते हैं. हिसालू का दाना कई छोटे-छोटे नारंगी रंग के कणों का समूह जैसा होता है, वैसे नारंगी रंग के हिसालू के अलावा लाल हिसालू की भी एक प्रजाति पायी है.





हिसालू के स्वाद को उत्तराखण्ड से बाहर रह रहे उत्तराखण्ड के लोग बहुत याद करते हैं, याद करने के अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता क्योंकि उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों के अलावा यह फल शायद कहीं और नहीं मिलता है. इस रसभरे फल को पहाड़ से ले जाकर देश के अन्य महानगरों में रह रहे पहाड़ियों तक पहुंचाना भी संभव नहीं है क्योंकि यह फल तोड़ने के तुरन्त बाद ही खराब होने लगता है और 2-3 घन्टे बाद खाने लायक नहीं रहता.


!!!!!!हिसालु!!!!!!!!! !!!!!!हिसालु!!!!!!!!! Reviewed by Simply Uttarakhand on April 19, 2017 Rating: 5

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