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क्वादु /मंडुआ/रागी रोटी के फायदे(Benefits of millet)





मंडुआ , क्वादु , रागी , कई नामो से जाने वाला यह साधारण अनाज , किसी जमाने में गरीबों का खाना माना जाता था, अपनी पौष्टिक गुणवता के मालूम होते ही, सब का चहेता अनाज बन गया है. आज के उपभोक्ता बाजार में, गेहूं से महँगा हो गया है. एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी तो इसके बिस्कुट भी बनाने लगी है. विदेशों में जो भारत के उत्तराखंडी,कर्नाटकी और विहार, महाराष्ट्र के कुछ भागों के लोग रहते हैं, भारतीय स्टोरों में, उनके लिए मंडुये का आटा और साबुत दाना, आसानी से मिल जाता है।साबुत दाने को भिगो कर अंकुरित होने पर उसका दलिया, शिशुओं को दिया जाता है. कहने का तात्पर्य यह है की मंडुये की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है , तो इसके उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी कारण उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के किसानो के लिए यह एक सुनहरा अवसर गया है की अपने खेतों में सामूहिक रूप से व्यावसायिक खेती करके मंडुए की आपूर्ति को पूरा करके लाभ उठायं। किसी भी व्यवसाय में आपूर्ति की निरंतरता का अहम महत्व है।




चूंकि उत्तराखंड में किसी भी अनाज की फसल साल में एक ही बार होती है, तो मंडुए को इतनी मात्रा में उगाना आवश्यक है कि इसके आटे की , दाने की, बिक्री साल भर होती रहे। निरंतर उपलब्धि से, बिक्री के व्यापारिक सम्बन्ध बने रहते हैं, और आपूर्ति में व्यवधान के कारण टूट गए/ठन्डे पड़ गए संबंधों को  या नए सम्बन्ध बनाने के झंझट से बचाव भी रहता है। उदाहरण के लिए अगर किसी क्षेत्र से मंडुए की मांग , क्विंटल प्रति दिन है, तो उत्पदान इसका ३६५ गुना यानी ,८२५ (,०००) क्विन्टल मन्डुवे का उत्पादन वंचित है. मान लें की प्रति किसान उत्पादन २० क्विंटल होता है , तो इस व्यवसाय के लिए १०० किसानों को सामूहिक रूप से जुड़ने से ही यह व्यवसाय  सफल होगा।


बाजार में मंडुए के आटे का भाव २०/- प्रति किलो है। अगर, लदाई, ढुलाई, पिसाई और पकेजिंग ( एक एक किलो के पॉलिथीन के थैले) की लागत /- प्रति किलो आती है तो मडुवा उत्पादक को, १२/-  प्रति किलो के हिसाब से २० क्विंटल का मूल्य २४,०००/- रुपया मिल सकता है, अगर सारे उत्पादक अपनी कृषि उत्पादक कम्पनी को नए कम्पनी नियम भाग IX A के अंतर्गत पंजीकृत करा लें और उत्पादन से लेकर बिक्री तक का काम स्वयम अपनी कम्पनी द्वारा संचालित कर सकें तो पूर लाभ उनका अपना होगा।  जितने बिचौलिये उनके और उपभोक्ताओं के बीच लाये जायेंगे , वे अपना हिस्सा इसी मुनाफे से काटेंगे और किसानो के हिस्से से उतना लाभ कम हो जाएगा।  यही वोह बिचौलियों का लालच है जिसके कारण उपभोक्ता के खर्च किये हुए रूपये का केवल २० -२५ पैसे ही उपभोक्ता तक पहुन्चते हैं, और वे उत्पादन बढ़ाने में की हित नहीं पाते।  इस लिए सामूहिक खेती से ले कर भण्डारण, पिसाई  और विक्री के सारी काम  भी आसान हो जाते हैं।



मंडुआ बरसात की फसल है, इसकी खेती की अपनी टेक्नोलॉजी है, जहां नलाई गुडाई से खर पतवार निकाला जाता है, वही दंडाला दे कर इसके जड़ों को हिला कर पुन्ह्स्थापित होने और कल्ले फोड़ने के लिए उकसाया जाता है, की एक ही पौधे के कई कल्ले फूटें और पैदावार बढे. फिर कटाई के बाद मंदाई से पहिले इसके गु
 को सिजाया जाता है एक ख़ास समय के लिए।  इस सिझाने से इसक रंग और स्वाद निर्धारित होता है. इस लिए अनुभवे खेतीहरों ( पुरुषों /स्त्रियों ) से सलाह ले कर ही सब काम करना श्रेय कर होता हैमंडुए की कटाई के बाद बचा पौधा , एक अच्छा पशु आहार है , अगर साथ साथ दुग्ध उत्पादन का धंदा भी व्यवसायिक स्तर पर शुरू किया जा सके तो , इस सूखे चारे का मूल्य भी आय का अतिरिक्त साधन बन जाता है। इस सलाह पर मनन कीजिये और आगे बढिए, कुछ नये तरीके से व्यवसायिक खेती करने की पहल कीजिए।

बाजरा के औषधीय गुण
·        बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है बाजरा खाइए, हड्डियों के रोग नहीं होंगे
·        बाजरे की रोटी खाने वालों को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाले रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता।
·        बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो कि हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है, आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
·        गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाये तो  इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते
·        इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी के बराबर पाए गए।
·        गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने की जगह रोज बाजरे की दो रोटी खानी चाहिए।बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा होता है, उससे अधिक उसमें गुण भी होते हैं.

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क्वादु /मंडुआ/रागी रोटी के फायदे(Benefits of millet) क्वादु /मंडुआ/रागी रोटी के फायदे(Benefits of millet) Reviewed by Simply Uttarakhand on April 14, 2017 Rating: 5

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